संदेष्टा सुलैमान अलैहिस्सलाम की सेना में इंसानों और जिन्नात के अतिरिक्त पशु पक्षी भी थे। सुलैमान अलैहिस्सलाम अपनी सेना को अपने अधीन रखते और हर एक की स्थिति से पूर्ण रूप में सूचित रहते थे जो एक अनुभवी नायक की पहचान है। एक दिन हुद-हुद नामक एक पक्षी ग़ाइब पाया गया, पूछाः क्या बात है कि मैं हुद-हुद को नहीं देख रहा हूँ, अनुमति लिए बिना कहाँ चला गया ? अगर उसके पास ग़ाइब होने के पीछे कोई ठोस प्रमाण न मिला तो उसे कठोर सज़ा दूँगा अथवा ज़बह् ही कर डालूंगा।

हुद-हुद कुछ दिनों ग़ाइब रहा फिर सुलैमान अलैहिस्सलाम की सेवा में उपस्थित हुआ, विदित है कि सुलैमान अलैहिस्सलाम हुद-हुद के ग़ाइब होने पर सख़्त क्रोधित थे, अतः हुद-हुद ने आते ही कहाः मुझे ऐसी सूचना मिली है जिसकी सूचना आपके पास नहीं, ऐसा ज्ञान प्राप्त हुआ है जिसका ज्ञान आपके पास नहीं। मैं आपके पास यमन से आ रहा हूं, सबा समुदाय की बिल्कुल सच्ची और अति महत्वपूर्ण सूचना लेकर। जब मैं वहाँ गया तो मेरी आंखों ने बड़ी आश्चर्यजनक चीज़ें देखीं: उस देश की रानी एक महिला है, उसकी प्रजा उसके अधीन और आज्ञाकारी हैं। फिर यह रानी सामान्य देश के राजाओं समान नहीं बल्कि उसे हर प्रकार की विशालता और समृद्धि प्राप्त है, उसकी महानता का यह प्रमाण है कि उसके लिए सुंदर पत्थरों को तराश कर एक महान सिंहासन बनाया गया है जो हीरे मोतियों से सजा है।
इस सांसारिक शान शौकत और ठाट-बाट के बावजूद सब से भयानक बीमारी उन में यह पाई जाती है कि पूरा देश एक अल्लाह की पूजा से दूर है, सब सूर्य नमस्कार करते हैं, सूरज को पूजते हैं। “मैंने उसे अपनी क़ौम के साथ सूरज की पूजा करते हुए पाया है।” (सूरः अन्नमलः 24)

फिर उस हुद-हुद पक्षी ने सुलैमान अलैहिस्सलाम के समक्ष उनके बहुदेववाद का कारण भी बताया कि राक्षस ने उनके सामने बहुदेववाद के इस कर्म को उनके लिए शोभायमान बना दिया है और उन्हें मार्ग से रोक दिया है जिसके कारण वे सीधा मार्ग नहीं पा रहे है।

फिर अपनी बात पर बल देते हुए कहा कि कैसे लोग सृष्टि को सज्दा करते हैं और सृष्टा को छोड़ देते हैं, यह लोग सूरज की पूजा कर रहे हैं हालाँकि हक़ तो यह था कि सूरज के रब की पूजा करते, स्वभाविक बात है कि सज्दा तो उस महिमा का होना चाहिए था जो आकाश से वर्षा बरसाता है और धरती से उसके छूपे ख़ज़ाने निकालता है, यहाँ तक कि हम जो कुछ झुपाते और विदित करते हैं उसका भी वह पूर्ण ज्ञान रखता है। ऐसी महिमा की पूजा करने की बजाए फिर अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि “अल्लाह कि उसके सिवा कोई सत्य पूजा योग्य नहीं, वह महान अर्श का रब है।” (सूरः अन्नमलः 26)

पक्षी की ज़ुबान से यह सूचना सुनते ही सुलैमान अलै. ने रानी के नाम तुरंत एक पत्र लिखा और हुद-हुद को ही पहुंचाने के लिए दिया जिस में उन्होंने रानी को अपने पास उपस्थित होने का निमंत्रण दिया था, अतः सबा की रानी सुलैमान अलै. के पास उपस्थित हुई और अपनी पूरी प्रजा के साथ इस्लाम स्वीकार कर किया। (पढ़िए क़ुरआन में यह क़िस्सा सूरः अन्नमल आयत 20 से 44 तक)

प्रिय मित्रो! बृह्मांड की प्रत्येक सृष्टि एक अल्लाह के गुणगान में लीनऔर शिर्क से दूर है, यह एक पक्षी की भूमिक है, जिसे शिर्क का दृश्य देख कर रहा नहीं जाता और तुरंत सूचना लेकर सुलैमान अलैहिस्सलाम की सेवा में उपस्थित होता है फिर उन तक अल्लाह का संदेश पहुंचाने के लिए परेशान हो जाता है। हालांकि पक्षी की यह जिम्मेदारी नहीं, यह जिम्मेदारी तो हमारी और आपकी थी।

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