वह वही हैं जिन्होंने 1400 साल पूर्व प्रत्येक मानवता के अधिकार की रखवाली की।
उन्होंने पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के अधिकार की सुरक्षा की।
उन्होंने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के बीच प्रेम को बढ़ावा देने की आज्ञा दी।
उन्होंने मुसलमानों और गैर मुसलमानों के बीच संबंध बनाए रखने तथा सहिष्णुता स्थापित करने का आदेश दिया।
उन्होंने पारिवारिक संबंध को ठोस बनाया जो बेटों पर माता-पिता के बड़े महान अधिकार की ज़मानत देता है।
उन्हों ने अन्याय से रोका, नयाय, प्रेम, एकता और सहयोग की ओर आमंत्रित किया।
उन्होंने जरूरतमंदों की मदद करने, रोगियों के दर्शन, तथा लोगों के बीच प्रेम और सलाह पैदा करने पर उभारा।
उन्होंने मुसलमानों को बुरे कामों से रोका जैसे चोरी, धोखा, हत्या और अत्याचार।
यह वही हैं जिन्होंने हमारे जीवन को बदला और हमारे बुरे स्वभाव को बेहतर बनाया।
एक मुस्लिम चोरी नहीं करता।
एक मुस्लिम झूठ नहीं बोलता।
एक मुस्लिम शराब नहीं पीता।
एक मुस्लिम व्यभिचार नहीं करता
एक मुस्लिम किसी को धोखा नहीं देता।
एक मुस्लिम निर्दोषों की हत्या नहीं करता।
एक मुस्लिम अपने पड़ोसियों को नुकसान नहीं पहुंचाता।
एक मुस्लिम अपने माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार करता तथा उनकी सेवा करता है।
एक मुस्लिम छोटों, महिलाओं और कमजोरों तथा बड़ी आयु वालों पर दया करता है।
एक मुस्लिम किसी मनुष्य या जानवरों पर अत्याचार नहीं करता, और न पेड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
एक मुस्लिम अपनी पत्नी पर दया करता और उससे प्यार करता है और अपने बच्चों का ख्याल रखता है और जीवन के अंतिम छण तक उनके प्रति विनम्रता का मामला करता है।
बच्चों के वयस्क होने के बाद एक मुसलमान के रिश्ते अपने बच्चों से कभी समाप्त नहीं होते।
यह हैं मुहम्मद (PBUH)
क्या आपको पता चला कि क्यों सभी मुसलमान मुहम्मद (PBUH) से प्रेम करते हैं ?
क्या आपने जान लिया कि मुहम्मद सल्ल. मुसलमानों की दृष्टि में क्या महत्व रखते हैं ?
हर मुसलमान मुहम्मद सल्ल. से हर चीज़ से अधिक प्रेम करता है।
यदि आप किसी मुस्लिम पर हुक्म लगाना चाहते हों तो सब से पहले निष्पक्ष हो करः
1- व्यक्तिगत रूप में उसकी बात सुनें, उसके विचार और उसकी आस्था को ग़ौर से सुनें और उसके कामों को देखें।
2- इस्लाम और संदेष्टा मुहम्मद (PBUH) के आदेशों के साथ उसके विचार और आस्था की तुलना करें।
3- यदि उसके विचार और उसकी आस्था इस्लामी शिक्षाओं के अनुकूल हों तो उसके कामों को देखें कि क्या वह उसके विचार और आस्था के अनुकूल हैं ?
4- अगर उसके काम उसके विचार और आस्था के अनुकूल हैं तो वह इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है और यदि उसके काम उसके विचार और आस्था के अनुकूल न हों तो वह मुसलमान होने का दावा करता है परन्तु वह इस्लाम का प्रतिनिधित्व नहीं करता।
सुझाव: संदेष्टा मुहम्मद सल्ल. सब से अच्छे मुसलमान हैं, किसी मुसलमान के लिए सम्भव नहीं कि उनकी पूर्णता को पहुंच सके लेकिन एक मुसलमान पूरा प्रयास करता है कि वह वैसा ही आदर्श मुसलमान बने जैसे उसने मुहम्मद सल्ल. की जीवनी में पढ़ा है। कभी कभी वह अल्लाह और उसके रसूल मुहम्मद सल्ल. की अवज्ञा कर जाता है क्यों कि वह भी आख़िर सामान्य मनुष्य है, जिस से ग़लतियां हो सकती हैं, लेकिन तुरंत वह पश्चाताप करता और सही रास्ते पर लौट आता है।
हे मेरे अल्लाह प्रभु, मेरे निर्माता, और सर्वशक्तिमान मैं तुझ से प्रेम करता हूं।

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