जब प्रथम पुरुष आदम के बेटे हाबील और क़ाबील में मतभेद हुआ और क़ाबील ने अत्याचार करते हुए अपने भाई की हत्या कर दी तो चूंकि यह दुनिया की पहली मृत्यु और प्रथम हत्या थी, अतः क़ाबील को समझ में नहीं आ रहा था कि भाई के शव का क्या करे, उसी बीच अल्लाह ने उसके सामने एक कौवा भेजा जिसने एक दूसरे कौवा से लड़ झगड़ कर उसे मार दिया, फिर मरे हुए कौवा के लिए अपने चोंच से भूमि खोदी और उसे मिट्टी में दफ़न कर दिया ताकि क़ाबील को दिखाया जाए कि वह अपने भाई के शव को कैसे दफ़न करे। इस दृष्य से क़ाबील को बुद्धि आई और वह लज्जित हो कर कहने लगाः “अफ़सोस मुझ पर! क्या मैं इस कौवे जैसा भी न हो सका कि अपने भाई का शव छिपा देता?” (सूरः अल-माइदाः 31)
जानवरों और पक्षियों के विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य जानवरों और पक्षियों के बीच कौवा ही ऐसा पक्षी है जो अपने मृत के सम्मान हेतु उसे दफन करता है, फिर पक्षियों में यह बिल्कुल घटिया पक्षी समझा जाता है, इसी लिए अल्लाह ने चाहा कि क़ाबील जैसे हत्यारे और घमंडी का शिक्षक कौवा जैसा घटिया पक्षी बने।
इस घटना से यह भी पता चला कि मुर्दे को भूमि में दफ़न करना स्वभाविक है, अधिक वैज्ञानिक तथा बुद्धिसंगत हैं। मुसलमानों के अतिरिक्त र्इसार्इ,यहूदी और दक्षिण भारत के कुछ हिन्दु भी दफन-पद्धति अपनाते हैं। दफन करने से मृतक का सम्मान होता है तथा जलवायु और वातावरण प्रदूषित नहीं होता।

क़ुरआन में वर्णित पूर्ण घटनाः 

وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ ابْنَيْ آدَمَ بِالْحَقِّ إِذْ قَرَّبَا قُرْبَانًا فَتُقُبِّلَ مِنْ أَحَدِهِمَا وَلَمْ يُتَقَبَّلْ مِنَ الْآخَرِ قَالَ لَأَقْتُلَنَّكَ ۖقَالَ إِنَّمَا يَتَقَبَّلُ اللَّـهُ مِنَ الْمُتَّقِينَ ﴿٢٧﴾ لَئِن بَسَطتَ إِلَيَّ يَدَكَ لِتَقْتُلَنِي مَا أَنَا بِبَاسِطٍ يَدِيَ إِلَيْكَ لِأَقْتُلَكَ ۖ إِنِّي أَخَافُ اللَّـهَ رَبَّ الْعَالَمِينَ ﴿٢٨﴾ إِنِّي أُرِيدُ أَن تَبُوءَ بِإِثْمِي وَإِثْمِكَ فَتَكُونَ مِنْ أَصْحَابِ النَّارِ ۚ وَذَٰلِكَ جَزَاءُ الظَّالِمِينَ ﴿٢٩﴾ فَطَوَّعَتْ لَهُ نَفْسُهُ قَتْلَ أَخِيهِ فَقَتَلَهُ فَأَصْبَحَ مِنَ الْخَاسِرِينَ ﴿٣٠﴾ فَبَعَثَ اللَّـهُ غُرَابًا يَبْحَثُ فِي الْأَرْضِ لِيُرِيَهُ كَيْفَ يُوَارِي سَوْءَةَ أَخِيهِ ۚ قَالَ يَا وَيْلَتَىٰ أَعَجَزْتُ أَنْ أَكُونَ مِثْلَ هَـٰذَا الْغُرَابِ فَأُوَارِيَ سَوْءَةَ أَخِي ۖ فَأَصْبَحَ مِنَ النَّادِمِينَ 

और इन्हें आदम के दो बेटों का सच्चा वृतान्त सुना दो। जब दोनों ने क़ुरबानी की, तो उनमें से एक की क़ुरबानी स्वीकृत हुई और दूसरे की स्वीकृत न हुई। उसने कहा, “मै तुझे अवश्य मार डालूँगा।” दूसरे न कहा, “अल्लाह तो उन्हीं की (क़ुरबानी) स्वीकृत करता है, जो डर रखनेवाले है। (27) “यदि तू मेरी हत्या करने के लिए मेरी ओर हाथ बढ़ाएगा तो मैं तेरी हत्या करने के लिए तेरी ओर अपना हाथ नहीं बढ़ाऊँगा। मैं तो अल्लाह से डरता हूँ, जो सारे संसार का रब है (28) “मैं तो चाहता हूँ कि मेरा गुनाह और अपना गुनाह तू ही अपने सिर ले ले, फिर आग (जहन्नम) में पड़नेवालों में से एक हो जाए, और वही अत्याचारियों का बदला है।” (29) अन्ततः उसके जी ने उस अपने भाई की हत्या के लिए उद्यत कर दिया, तो उसने उसकी हत्या कर डाली और घाटे में पड़ गया (30) तब अल्लाह ने एक कौआ भेजा जो भूमि कुरेदने लगा, ताकि उसे दिखा दे कि वह अपने भाई के शव को कैसे छिपाए। कहने लगा, “अफ़सोस मुझ पर! क्या मैं इस कौए जैसा भी न हो सका कि अपने भाई का शव छिपा देता?” फिर वह लज्जित हुआ (31)  (सूरः अल-माइदा) 

 

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