ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के पुत्र हैं तो आदम अलैहिस्सलाम क्यों नहीं ?

ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के पुत्र हैं तो आदम अलैहिस्सलाम क्यों नहीं ?

ईसा अलैहिस्सलाम को हम सब जानते हैं और क्यों ना जानें कि उन पर ईमान रखना हर मुसलमान के लिए आवश्यक है। बल्कि जब भी हम उनका नाम लेते हैं तो उसके बाद अलैहिस्साल कहते हैं कि उन पर अल्लाह की शान्ति हो। कुरआन ने ईसा अलैहिस्सलाम और उनकी माँ मरयम अलैहस्सलाम के बारे में खुलकर बात की है, ईसा अलैहिस्सलाम का जन्म कैसे हुआ ? उनके चमत्कार क्या थे ? उनकी दावत क्या थी ? और उनकी वास्तविकता क्या है ? इन सारे बिन्दुओं पर कुरआन विस्तार से प्रकाश डालता है और मानव को उस सच्चाई से अवगत कराता है जिसे लेकर प्रत्येक संदेष्टा आय थे परन्तु इनसानों ने अपने स्वार्थ के लिए उन्हें ईश्वर का पुत्र बना कर उनके नाम से एक धर्म निर्माण किया जिसे आज इसाई धर्म के नाम से जाना जाता है।

ईसा अलैहिस्सलाम का जन्मः

कुरआन की सूरः मरयम में मरयम अलैहस्सलाम और ईसा अलैहिस्सलाम  के जन्म का उल्लेख है, जिसका सारांश यह है कि ईसा अलैहिस्सलाम की नानी  को  संतान  नहीं हो रही थी, एक दिन उन्हों ने अल्लाह से गिड़गिड़ाकर दुआ की कि हे अल्लाह अगर तूने मुझे संतान दिया तो मैं उसे बैतुल मक़द्दस की सेवा के लिए समर्पित कर दूंगी, अल्लाह ने उनकी फरियाद सुन ली और मरयम अलैहस्सलाम पैदा हुईं, जब मरयम अलैहस्सलाम अपने आपको संभालने की उम्र को पहुँच गईं तो उनकी मां उन्हें बैतुलमुक़द्दस ले गईं, वहाँ ज़करिया अलैहिस्सलाम के नेतृत्व में रहने लगीं। बितते दिनों के साथ मरयम अलैहस्सलाम बैतुलमुक़द्दस के पूर्वी ओर पर्दा डाल कर ईबादत के लिए बैठी थीं कि एक दिन अचानक अल्लाह के हुक्म से जिब्रील अमीन आदमी के रूप में उनके सामने आ गए, और यह सूचना दी कि आपके हां लड़का होने वाला है, यह सुन कर मरयम अलैहस्सलाम परेशान कि “मेरे हाँ कैसे लड़का होगा जब कि मुझे किसी इंसान ने छुआ तक नहीं है और मैं कोई बदकार औरत नहीं हूँ”  जिब्रील अमीन ने कहा कि अल्लाह का यही आदेश है ,इस प्रकार जिब्रील अमीन ने उनके दामन में फूंक मारा और वह गर्भ से हो गईं, जब जन्म का समय करीब हुआ तो आबादी से बाहर एक खुजूर के तने के नीचे आ गई, वहीं पर हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ, जन्म के बाद मरयम अलैहस्सलाम ईसा अलैहिस्सलाम को लेकर समुदाय के पास आईं,  अल्लाह के आदेश से मरयम अलैहस्सलाम चुप थीं, जब समुदाय के लोगों ने हाथ में बच्चे को देखा तो उल्टी सीधी बातें करने लगे, तब ईसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने बोलने की शक्ति प्रदान कर दी, बोल उठे:

قَالَ إِنِّي عَبْدُ اللَّـهِ آتَانِيَ الْكِتَابَ وَجَعَلَنِي نَبِيًّا ﴿٣٠﴾ وَجَعَلَنِي مُبَارَكًا أَيْنَ مَا كُنتُ وَأَوْصَانِي بِالصَّلَاةِ وَالزَّكَاةِ مَا دُمْتُ حَيًّا ﴿٣١﴾وَبَرًّا بِوَالِدَتِي وَلَمْ يَجْعَلْنِي جَبَّارًا شَقِيًّا ﴿٣٢﴾ وَالسَّلَامُ عَلَيَّ يَوْمَ وُلِدتُّ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّا  – سورۃ مریم: 30-33

 उसने कहा, “मैं अल्लाह का बन्दा हूँ। उसने मुझे किताब दी और मुझे नबी बनाया (30) और मुझे बरकतवाला किया जहाँ भी मैं रहूँ, और मुझे नमाज़ और ज़कात की ताकीद की, जब तक कि मैं जीवित रहूँ (31) और अपनी माँ का हक़ अदा करनेवाला बनाया। और उसने मुझे सरकश और बेनसीब नहीं बनाया (32) सलाम है मुझपर जिस दिन कि मैं पैदा हुआ और जिस दिन कि मैं मरूँ और जिस दिन कि जीवित करके उठाया जाऊँ!”

ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के पुत्र हैं तो आदम अलैहिस्सलाम क्यों नहीं ?

 ईसा अलैहिस्सलाम का बिना पिता के पैदा होना आश्चर्यजनक मामला जरूर है लेकिन इस से अधिक आश्चर्यजनक मामला आदम अलैहिस्सलाम का जन्म है, जो बिना माँ बाप के पैदा किए गए, इसी लिए अल्लाह पाक ने फरमाया:

إِنَّ مَثَلَ عِيسَىٰ عِندَ اللَّـهِ كَمَثَلِ آدَمَ ۖ خَلَقَهُ مِن تُرَابٍ ثُمَّ قَالَ لَهُ كُن فَيَكُونُ – سورۃ آل عمران 59

निस्संदेह अल्लाह की दृष्टि में ईसा की मिसाल आदम जैसी है कि उसे मिट्टी से बनाया, फिर उससे कहा, “हो जा”, तो वह हो जाता है (सूरःआलिइमरान59)

सवाल यह है कि अगर ईसा अलैहिस्सलाम का चमत्कारिक जन्म उन्हें अल्लाह का बेटा बना देता है तो सब से पहले आदम अलैहिस्सलाम का अधिकार था कि वह अल्लाह के पुत्र समझे जाएं कि आदम अलैहिस्सलाम का जन्म ईसा अलैहिस्सलाम से भी मुश्किल था। सच्ची बात यह है कि मानव निर्माण के चार ही तरीके हो सकते हैं:

1- बिना माँ बाप के निर्माण जैसे आदम अलैहिस्सलाम का निर्माण हुआ।

2- बिना माँ के निर्माण जैसे हव्वा अलैहस्सलाम पैदा हुईं।

3- माता और पिता दोनों के मिलाप से निर्माण जैसे प्रत्येक इंसान पैदा होते हैं।

4- निर्माण का एक चौथा रूप रह गया था इसलिए अल्लाह ने अपनी शक्ति  को प्रदर्शित करने के लिए ईसा अलैहिस्सलाम को बिना पिता के बनाया।

फिर कुरआन का एहतमाम देखें कि अल्लाह ने कुरआन में 25 बार ईसा अलैहिस्सलाम के नाम का उल्लेख किया है, जबकि केवल पांच बार मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का नाम बयान किया गया है, साथ ही मरयम नाम की एक पूर्ण सूरः उतार दी, जबकि बाईबल में ऐसा कोई चैप्टर नहीं है, यहां सोचने की बात यह है कि अगर कुरआन मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का बनाया हुआ होता तो आप निश्चित रूप में अपने जन्म का उल्लेख करते, अपनी मां की चर्चा करते जबकि ऐसी कोई बात कुरआन में नहीं है।

ईसा अलैहिस्सलाम के चमत्कार:

कुरआन ने ईसा अलैहिस्सलाम के कई चमत्कार का भी उल्लेख किया है, उन में सब से पहला चमत्कार ईसा अलैहिस्सलाम का बिना माँ बाप के पैदा होना है, साथ ही माँ की गोद में ईसा अलैहिस्सलाम का बात करना और अपनी माँ की पाकदामनी का वर्णन करना है, ईसा अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने ऐसी क़ौम में भेजा था जो चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते थे, इसी लिए अल्लाह उनको चमत्कार भी इसी प्रकार के दिए थे, जैसे अल्लाह की अनुमति से मिट्टी से पक्षी बनाते और उसमें फूंक मारते तो वह उड़ने लगती थी, जन्मजात अंधे की आंख पर हाथ फेरते तो अल्लाह की अनुमति से उसकी रोशनी लौट आती थी, कोढ़ी के शरीर पर हाथ फेरते तो उसका शरीर बिल्कुल ठीक हो जाता था। उसी तरह अल्लाह की अनुमति से मुर्दे को जीवित कर देते थे, लोग अपने घरों में जो कुछ खाते-पीते और जमा करके रखते थे आप उसकी उनको खबर दे देते थे, उसी प्रकार आपके साथियों ने जब अनुरोध किया कि अल्लाह से दुआ करें कि आकाश से हमारे लिए खाना उतार दे तो आपकी दुआ पर अल्लाह ने आकाश से खाना उतार दिया।

ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के पुत्र नहीं:

इन सारे चमत्कार के बावजूद कुरआन वास्तविक सच्चाई यह बयान करता है कि मरयम और ईसा अलैहिमास्सलाम सामान्य इंसानों जैसे इंसान थे जिन्हें खाने पीने की जरूरत महसूस होती थी:

مَّا الْمَسِيحُ ابْنُ مَرْيَمَ إِلَّا رَسُولٌ قَدْ خَلَتْ مِن قَبْلِهِ الرُّسُلُ وَأُمُّهُ صِدِّيقَةٌ ۖ كَانَا يَأْكُلَانِ الطَّعَامَ ۗ – سورة المائدة 75

 मरयम का बेटा मसीह एक रसूल के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं। उससे पहले भी बहुत-से रसूल गुज़र चुके हैं। उसकी माण अत्यन्त सत्यवती थी। दोनों ही भोजन करते थे।  (सूरः अल-माइदा 75)

अल्लाह ने कुरआन में विभिन्न स्थानों पर इस आस्था का खंडन किया कि ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के पुत्र हैं अथवा वह son of God हैं,  क़ुरआन ने कहा:

وَقَالُوا اتَّخَذَ الرَّحْمَـٰنُ وَلَدًا ﴿٨٨﴾ لَّقَدْ جِئْتُمْ شَيْئًا إِدًّا ﴿٨٩﴾ تَكَادُ السَّمَاوَاتُ يَتَفَطَّرْنَ مِنْهُ وَتَنشَقُّ الْأَرْضُ وَتَخِرُّ الْجِبَالُ هَدًّا ﴿٩٠﴾ أَن دَعَوْا لِلرَّحْمَـٰنِ وَلَدًا ﴿٩١﴾ وَمَا يَنبَغِي لِلرَّحْمَـٰنِ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا ﴿٩٢﴾ إِن كُلُّ مَن فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ إِلَّا آتِي الرَّحْمَـٰنِ عَبْدًا 

 वे कहते है, “रहमान ने किसी को अपना बेटा बनाया है।” (88) अत्यन्त भारी बात है, जो तुम घड़ लाए हो! (89) निकट है कि आकाश इससे फट पड़े और धरती टुकड़े-टुकड़े हो जाए और पहाड़ धमाके के साथ गिर पड़े, (90) इस बात पर कि उन्होंने रहमान के लिए बेटा होने का दावा किया! (91) जबकि रहमान की प्रतिष्ठा के प्रतिकूल है कि वह किसी को अपना बेटा बनाए (92) आकाशों और धरती में जो कोई भी है एक बन्दें के रूप में रहमान के पास आनेवाला है (सूरः मरयम 88-93)

बल्कि अल्लाह कल क़यामत के दिन अपने दरबार में ईसा अलैहिस्सलाम को बुलायगा और फिर सारे ईसाइयों को बुलाए जाएगा, फिर प्रत्येक ईसाइयों के समक्ष ईसा अलैहिस्सलाम से पूछेगा:

وَإِذْ قَالَ اللَّـهُ يَا عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ أَأَنتَ قُلْتَ لِلنَّاسِ اتَّخِذُونِي وَأُمِّيَ إِلَـٰهَيْنِ مِن دُونِ اللَّـهِ ۖ قَالَ سُبْحَانَكَ مَا يَكُونُ لِي أَنْ أَقُولَ مَا لَيْسَ لِي بِحَقٍّ ۚ إِن كُنتُ قُلْتُهُ فَقَدْ عَلِمْتَهُ ۚ تَعْلَمُ مَا فِي نَفْسِي وَلَا أَعْلَمُ مَا فِي نَفْسِكَ ۚ إِنَّكَ أَنتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ ﴿١١٦﴾ مَا قُلْتُ لَهُمْ إِلَّا مَا أَمَرْتَنِي بِهِ أَنِ اعْبُدُوا اللَّـهَ رَبِّي وَرَبَّكُمْ ۚ وَكُنتُ عَلَيْهِمْ شَهِيدًا مَّا دُمْتُ فِيهِمْ ۖ فَلَمَّا تَوَفَّيْتَنِي كُنتَ أَنتَ الرَّقِيبَ عَلَيْهِمْ ۚوَأَنتَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ شَهِيدٌ

“और याद करो जब अल्लाह कहेगा, “ऐ मरयम के बेटे ईसा! क्या तुमने लोगों से कहा था कि अल्लाह के अतिरिक्त दो और पूज्य मुझ और मेरी माँ को बना लो?” वह कहेगा, “महिमावान है तू! मुझसे यह नहीं हो सकता कि मैं यह बात कहूँ, जिसका मुझे कोई हक़ नहीं है। यदि मैंने यह कहा होता तो तुझे मालूम होता। तू जानता है, जो कुछ मेरे मन में है। परन्तु मैं नहीं जानता जो कुछ तेरे मन में है। निश्चय ही, तू छिपी बातों का भली-भाँति जाननेवाला है (116) “मैंने उनसे उसके सिवा और कुछ नहीं कहा, जिसका तूने मुझे आदेश दिया था, यह कि अल्लाह की बन्दगी करो, जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब है। और जब तक मैं उनमें रहा उनकी ख़बर रखता था, फिर जब तूने मुझे उठा लिया तो फिर तू ही उनका निरीक्षक था। और तू ही हर चीज़ का साक्षी है।” (सूरः अल-माइदा 116-117)

 

ईसा अलैहिस्सलाम का मुहम्मद सल्ल. के आगमन की शुभसूचना:

ईसा अलैहिस्सलाम ने अपने बाद अन्तिम नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन की शुभसूचना दी थी कि मेरे बाद एक नबी आएंगे जिनका नाम अहमद होगा, आज स्वयं बाईबल में यह भविष्यवाणी मौजूद हैं, कुरआन ने  कहा था:

وَإِذْ قَالَ عِيسَى ابْنُ مَرْيَمَ يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ إِنِّي رَسُولُ اللَّـهِ إِلَيْكُم مُّصَدِّقًا لِّمَا بَيْنَ يَدَيَّ مِنَ التَّوْرَاةِ وَمُبَشِّرًا بِرَسُولٍ يَأْتِي مِن بَعْدِي اسْمُهُ أَحْمَدُ ۖ فَلَمَّا جَاءَهُم بِالْبَيِّنَاتِ قَالُوا هَـٰذَا سِحْرٌ مُّبِينٌ – سورة الصف 6

” और याद करो जबकि मरयम के बेटे ईसा ने कहा, “ऐ इसराईल की संतान! मैं तुम्हारी ओर भेजा हुआ अल्लाह का रसूल हूँ। मैं तौरात की (उस भविष्यवाणी की) पुष्टि करता हूँ जो मुझसे पहले से विद्यमान है और एक रसूल की शुभ सूचना देता हूँ जो मेरे बाद आएगा, उसका नाम अहमद होगा।” किन्तु वह जब उनके पास स्पट्जो प्रमाणों के साथ आया तो उन्होंने कहा, “यह तो जादू है।” (सूरः अस्सफ़ 6)

ईसा अलैहिस्सलाम की अन्तिम स्थिति:

कुरआन ने ईसा अलैहिस्सलाम की अंतिम स्थिति पर भी प्रकाश डाला है कि यहूद जब उन्हें सूली पर लटकाने के लिए लेकर गए तो अल्लाह ने ईसा अलैहिस्सलाम के दुश्मनों में से एक दुश्मन को ईसा अलैहिस्सलाम का रूप दे दिया और ईसा अलैहिस्सलाम को अपने पास बुला लिया। अल्लाह ने कहा:

وَمَا قَتَلُوهُ وَمَا صَلَبُوهُ وَلَـٰكِن شُبِّهَ لَهُمْ – سورة النساء 157  

“हालाँकि न तो इन्होंने उसे क़त्ल किया और न उसे सूली पर चढाया, बल्कि मामला उनके लिए संदिग्ध हो गया।” (सूरः अन्निसा 157)

फिर जब क़्यामत के क़रीब  ईसा अलैहिस्सलाम धरती पर उतरेंगे और दज्जाल की हत्या करेंगे, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शिक्षाओं के अनुसार जलेंगे और सारे ईसाई उनके देहांत से पूर्व मुसलमान हो जाएंगे।

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